जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे तन्त्र से धन लक्ष्मी प्राप्ती के लिये बिल्ली की जेर का प्रयोग
मार्जारी तंत्र
मार्जारी अर्थात बिल्ली सिंह परिवार का जीव है,केवल आकार का अंतर इसे सिंह से प्रथक करता है ,अन्यथा यह सर्वांग में सिंह का लघु संस्करण ही है !मार्जारी अर्थात बिल्ली की 2 श्रेणियां होती हैं पालतू और जंगली !जंगली को बन बिलाव कहते हैं यह आकार में बड़ा होता है जबकि घरों में घूमने वाली बिल्लियां छोटी होती है !बनबिलाव को पालतू नहीं बनाया जा सकता किन्तु घर में घूमने वाली बिल्ली पालतू हो जाती है! अधिकतर यह काले रंग की होती है,किंतु सफेद चितकबरी और लाल (नारंगी) रंग की बिल्लियां भी देखी जाती है!
अस्तु घर में घूमने वाली बिल्ली (मादा )लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कराने में सहायक होती है किंतु तंत्र प्रयोग दुर्लभ और अज्ञात होने के कारण सर्व साधारण के लिए लाभकारी नहीं हो पाता ! वैसे यदि कोई व्यक्ति इस मार्जारी तंत्र का प्रयोग करें तो निश्चित रुप से वह लाभान्वित हो सकता है/
तंत्र से लक्ष्मी प्राप्ति का प्रयोग
गाय भैंस बकरी की तरह लगभग सभी चौपाये मादा पशुओं के पेट से प्रसव के पश्चात एक झल्ली जैसी वस्तु निकलती है वस्तुतः इसी झिल्ली में गर्भस्थ बच्चा रहता है !बच्चे के जन्म के समय वह भी बच्चे के साथ बाहर आ जाती है, यह पॉलीथिन की थैली की तरह पारदर्शी लिजलिजी रक्त और पानी के मिश्रण से तर और देखने में घृणित होती है ,सामान्यतः इसे ही नाल कहते हैं /
इस नाल को तांत्रिक साधना में बहुत महत्व प्राप्त है, स्त्री की नाल का उपयोग वंध्या अथवा मृतवत्सा स्त्रियों के लिए परम हितकर माना गया है ,वैसे अन्य सभी पशुओं की नाल के भी विविध उपयोग होते हैं
यहां केवल मार्जारी ( बिल्ली) की नाल का ही तांत्रिक प्रयोग लिखा जा रहा है जिसे सुलभ हो इसका प्रयोग करके लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है
जब पालतू बिल्ली का प्रसव काल निकट हो तो उसके लिए रहने और खाने की व्यवस्था करें कि वह आपके कमरे में ही रहे यह कुछ कठिन कार्य नहीं है प्रेम पूर्वक पाली गई बिल्लियां तो कुर्सी बिस्तर और गोद तक में बराबर मालिक के पास बैठी रहती हैं
उस पर बराबर निगाह रखे जिस समय वह बच्चों को जन्म दे रही हो सावधानी से उसकी रखवाली करें बच्चों के जन्म के बाद तुरंत बाद ही उसकी पेट से नाल (झिल्ली )निकलती है
और संभवत तुरंत ही बिल्ली उसे खा जाती है बहुत कम लोग ही उसे प्राप्त कर पाते हैं
अतः उपाय यह है कि जैसे ही बिल्ली की पेट से नाल बाहर आए उस पर कपड़ा ढंक दे,ढंक जाने पर बिल्ली उसे खा नही सकेगी, क्योकि प्रसव पीड़ा के कारण वह कुछ शिथिल भी रहती है, इसलिए तेजी से झपट नहीं सकती, जैसे भी हो प्रसव के बाद उसकी नाल उठा लेनी चाहिए फिर उसे धूप में सुखाकर प्रयोजनीय रुप दिया जाता है
धूप मे सुखाते समय भी उसकी रखवाली में सतर्कता आवश्यक है,अन्यथा कव्वा चील कुत्ता आदि कोई भी उसे उठाकर ले जा सकता है तेज धूप में दो-तीन दिनों तक रखने के बाद वह चमड़े की तरह सूख जाएगी सूख जाने पर उसके चोकोर टुकडे दो या तीन वर्ग इंच के जैसे भी सुविधा हो कर ले और उन पर हल्दी लगा कर रखना हल्दी का चूर्ण वाले कुछ भी लगाया जा सकता है इस प्रकार हल्दी लगाया हुआ बिल्ली का नाल का टुकड़ा लक्ष्मी यंत्र का अचूक घटक होता है
तंत्र साधना के लिए किसी भी शुभ मुहूर्त में स्नान पूरा करके शुद्ध स्थान पर बैठ जाएं और हल्दी लगा हुआ है नाल का सीधा भाग बाएं हाथ में लेकर मुठ्ठी बंद कर लें लक्ष्मी रुपयी सोना चांदी अथवा किसी आभूषण का ध्यान करते हुए 54 बार मंत्र पढ़ें मर्जबान उल किस्ता उसके पश्चात् उसे माथे से लगा कर अपने सन्दूक , पिटारी ,बैग ,लॉकर जहां भी रुपए पैसे या जेवर हों रख दे
कुक्ष हा समय बाद आश्चर्यजनक रूप से श्री संपत्ति की वृद्धि होने लगती है इस नाल यंत्र का प्रभाव विशेष रूप से धातु लाभ सोना चांदी की प्राप्ति भी करता है
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बिल्ली की जेर तांत्रिक सिद्धि या प्रभावी जादुई शक्ति प्राप्त करने में काफी महत्व है। । बिल्ली की जेर पारंपरिक रूप से तांत्रिकों द्वारा अत्यधिक इस्तेमाल में लिया जाता है, ग्रामीणों, व्यापारियों, राजनेताओं, निवेशकों, शेयर दलालों, जुआरी, व्यापार आदमी, उच्च रैंक के लोगों और नेताओं के लिये भी लाभकारी होती है, । यह चमत्कारी शक्ति है और जादुई परिणाम प्रदान करती है।
महत्व और लाभ:
बिल्ली की जार अपने स्वामी को जबरदस्त लाभ प्रदान करती है। यह सोच क्षमताओं और मन की उपस्थिति को बेहतर बनाता है इंसान में आत्मविश्वास का स्तर बढ़ता है। यह भी ग्रह राहु, मंगल और शुक्र के हानिकारक प्रभाव को दूर करने में बहुत फायदेमंद है।
यह भारी मुनाफा और व्यापार में सफलता मिलती है और संचय, धन और पैसे के आरोप में मदद करता है। यह व्यापारियों , सभी लोगों को समृद्धि और परिवार में वित्तीय शक्ति प्रदान करती है।
इसका उपयोग कैसे करना है?
यह नकदी बॉक्स, कार्यालयों, दुकान, घर और कारखाने में सिंदूर के साथ लाल कपड़े में लपेटा रखा जाना चाहिए। इसके उपयोग और एहतियात स्पष्ट रूप से लाल किताब में वर्णित है।
पहले यह सक्रिय है और फिर इसे आप अपने लाभ पूरे दे सकते मंत्र और वैदिक विधि या पूजा से सक्रिय हो गया है। बिल्ली की जेर वशीकरण, दुर्गा पूजा, विष्णु पूजा, मोहिनी पूजा और कई अन्य पूजा और अनुष्ठान में प्रयोग किया जाता है।
वे बिल्ली की जेर का असली लाभ है, जो जीवन में धन, धन, संपत्ति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं,
मन्त्र सिद्ध बिल्ली की नाल प्राप्त करनें के लिये
नाम पिता का नाम गोत्र पूरा पता भेजकर अपनें लिये सिद्ध करवायें
बिल्ली की जेर की सहयोग राशी २७०० रुपये है
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